मंज़िल पता नहीं, तो तेरे दर पे आया
तुम ही हो वह जिसको समझने नहीं आया
हमतक एक आवाज़ निकली तेरे दिल से
सुर तो मिल गए यूहीं, क्या पता कैसे आया