ज़ादी से पहले की बात है गुजरात के एक छोटे से क्षेत्र के दरबार में गोपालदास राजा थे उनकी रानी भक्तिबा बचपन से ही धार्मिक वृत्ति की थी जब वह दरबार गोपालदास की रानी बनाकर आई तो पता चला की दरबार को तो शराब की बुरी लत है

ससुराल में आते ही कुछ दिनों बाद उन्होंने दरबार गोपालदास को कहा; "आप मेरा एक वचन मानेंगे?"

दरबार साहब ने कहा; "ज़रूर, आप बोलिए तो सही, हम आपका वचन मानेंगे ।"

भक्तिबा ने कहा; "मैं जानती हूँ की आपको शराब की बुरी लत है । आप से जब तक यह आदत न छूटे, आप शराब ज़रूर पीओ । मगर अपने आप या किसी के हाथों दी गयी शराब कभी मत पीओ । आप मेरी इतनी सी बात मानेंगे न?"

दरबार साहब ने वचन तो पहले ही दिया था, पीछे हठ कैसे करें? मगर उसके मन में विचार आया कि भक्तिबा जैसी धार्मिक मनोवृत्ति की रानी को मेरे कारण शराब का स्पर्श भी करना पड़े, उससे से अच्छा है कि मैं शराब ही छोड़ दूँ ।

उसी दिन से राजा दरबार गोपालदास की शराब की लत हमेशा के लिए गयी ।