गुजरात में घर-घर खादी पहुंचाने का सपना देखनेवाले पू. गांधी बापू अगर होते तो 4 हज़ार परिवारों की हिज़रत नहीं होती | समग्र गुजरात में सुरेंद्रनगर जिले में सबसे ज्यादा खादी का उत्पादन होता था | पूरे एशिया खंड में कपास का उत्पादन भी यहाँ ही होता है | खादी की बुनावट करते बुनकर आज बेकार बन गएं है | उन्हें अब रोटी के लिएँ दूसरे व्यवसाय में या मज़दूरी में जाना पद रहा है|

पहले गुजरात के कुल खादी उत्पाद में से 70 प्रतिशत खादी सुरेंद्रनगर जिले में ही बनाती थी | इस कारण करीब 16 परिवार खाड़ी बुनने में लगे थे और गुजरात को अलग पहचान दी थी | छोटे-छोटे गाँवों में भी खादी की उत्पाद बढ़ती थी और एक वर्ष में 49 करोड़ का टर्नओवर होता था | पिछले पांच वर्षों में खादी की खपत बिलकुल सामान्य होने से 53 हज़ार बुनकरों की शामत ही आ गयी है | बेकारी के कारण बुनकरों को मजबूरन स्थानांतर करना पड़ रहा है और खादी नामशेष हो रही है |