बढ़ रही थी
मरनेवालों की तादात
जो रहते थे झुग्गियों में
पास में ही इमारत थी, दस मंजिला
जो ढह गयी थी अचानक
भूकंप में बेघर हो गें थे कईं लोग
ईमारत का मलबा झुग्गियों पर
और
मलबे से लाशों का कारवां...
नेताओं ने तुरंत किया दौरा, उस घटना स्थल का
कुछ झुग्गीवालों से मिले भी, और
मोहर लगा दी, उस प्रत्येक लाशों पर
पूरे एक लाख रुपये की....
बच गाएँ थे, कुछ लोग
जो दस मंजिला ईमारत में ही रहते थे
सोचने लगे वह भी-
काश,
झुग्गेयों में रहते होते हम भी...!