Posted by
Pankaj Trivedi
In:
कविता
कविता : साक्षात्कार
ईश्वर को
कण-कण में पाने की
मीठी जिद्द और
पूर्ण श्रद्धा से उसे देखने का
सही नज़रिया
और फिर
उनके अहसास को
साक्षात्कार में बदलने वाले
किसी कवि की अनन्य भक्ति से
मोक्ष खुद
धन्य हो जाता है !
This entry was posted on 2:44 AM
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कविता
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6 comments:
किसी कवि की अनन्य भक्ति से
मोक्ष खुद
धन्य हो जाता है !
बहुत ही सुंदर रचना .
कल्पना,
तुम्हारा यह सद्भाव है, क्या कहूँ? खुशी हुई तुम्हें यहाँ देखकर... आती-जाती रहना...
bahut sundar prastut pankaj ji..
कवि स्वधर्म की पवित्र स्याही से निकली पावन कलम की पुनीत अभिव्यक्ति इससे बढ़कर और क्या हो सकती है..बहुत ही सुन्दर और एक सम्पूर्ण रचना ! आभार श्री पंकज जी !!
श्रीप्रकाश जी,
आपने "विश्वगाथा" परिवार को अपना ही मानकर स्वीकार किया और प्रतिक्रया दी, धन्यवाद |
श्री नरेन्द्र जी,
आपने कविता की पवित्रता को न सिर्फ पहचाना, बल्कि उसी अंदाज़ में प्रतिक्रया दी, धन्यवाद |
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