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Pankaj Trivedi
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अभ्यास
अभ्यास : शमशेरबहादुर सिंह : मन की बात
मन की बात दिल में उतरकर भावनाओं की श्याही बनकर कलम से जब शब्द के रूप में कागज़ पर उतरती है तो कविता का जन्म होता है | यही रचना जब पाठक में मन को छू लेती है तो रचनाकार की सफलता साबित होती है | सूर्योदय प्रात नभ बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ नील जला में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो | और... जारू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है | कला के अनेक अभिगम है उनमें से एक कविता है जो अंत:करण से उभरती है | प्रकृति के किसी भी कार्य को यदि मन की खूबसूरती से किया जाएं तो वह हर दिल पर छा जाता है | उसमें शब्दों के साथ रंगों का मनमोहक संयोजन हो जाए तो खूबसूरती दुगनी हो जाती है | मानव मन की अन्तरंग सुन्दरता को भाँपकर शब्दों के रूप में गढ़नेवाला कवि जब दिल के साथ दिमाग पर छाने लगा तो कविता के संसार को नया मंच प्राप्त हुआ | भाषा के माध्यम से चित्र प्रतिबिंबित करना, यही खासियत है शमशेर की रचनाओं में | दूब पलकों पर हौले-हौले तुम्हारे फूल से पाँव मानो भूलकर पड़ते ह्रदय के सपनों पर मेरे ! अकेला हूँ आओ ! रचनाकार की रचनाओं की समीक्षा करना कोई आसान काम नहीं, वह तो साधना है | इसमें कलाकार की कला के साथ पाठक का दृष्टिकोण भी सम्मिलित होता है | अलग-अलग दृष्टिकोण से देखने पर रचना का स्वरूप बदलता नहीं पर परिवर्तित जरुर होता है, किन्तु गहराई में जाते ही वास्तविकता दृष्टिगोचर होती है | अपनी काव्य समझ को पैना करने के लिए मैंने उन्हें बार बार पढ़ा | शमशेर जी को पढ़ना मुझे आवश्यक नहीं, अनिवार्य भी लगा है | उन्हें ध्यान से पढ़ने पर चित्र अपने आप उभरता जाता है | कविता के साथ प्रतिबिम्ब भी स्पष्ट होता जाता है | शमशेर जी की शिष्या और हिन्दी साहित्य का एक चमकता सितारा डॉ. रंजना अरगड़े गुजरात के सुरेंद्रनगर शहर में प्राध्यापिका थीं तब हमारे अपने कवि शमशेर जी उनके साथ मेरे ही शहर में रहते थे | काफी नजदीकी से उन्हें देखा है और समझने की कोशिश भी की है | शमशेर की प्रस्तुति में हलके रंगों का मनोरम प्रयोग हमें आकर्षित कर लेता है | उनके काव्य बिम्ब पसंदीदा रंगों के छाया बिम्बों के अनुरूप विलयित रंगों में उनके समूचे सृजन का अभिन्न अंग बने रहे | धुप कोठारी के आईने में कविता याद आती है... जिन्दगी को समझने की बात तो सब करते हैं, परन्तु शमशेर ने कविता को मनोवैज्ञानिक आधार पर समझने की बात अनुभूति और अपने अनुभव की समझ और जानकारी से सुलझा कर, सपष्ट करके की है | स्वयं को पुष्ट करके अपनी कला-भावना को जगाया | यह आधार इस युग के हर सच्चे और ईमानदार कलाकार के लिए जरुरी है | शमशेर की कविता में भाषा के महत्त्व पर तो पूरा अध्याय लिखा जा सकता है | शब्दों के क्रम का संयोजन, उसका निखार और पाठक को मुग्ध कर देने की क्षमता मैंने शमशेर की कृतियों में पाई | शब्दों की आपसी टकराहट के साथ ही उनकी सार्थकता का समावेश कविता के भावार्थ को मन के गहराई तक ले जाता है | शब्दों की रगड़ से जो स्पष्ट होता है वही वास्तविक भाव है | कविता में अभिधात्मक अर्थ की अपेक्षा व्यजनात्मक अर्थ ही प्रिय लगता है | ऐसा कहा जाता है की जब कविता होती है तब शब्दों की भूमिका बदल जाती है और समय के बहते निरंतर बहाव से उसके प्रवाह में निश्चितता आती है | जिस काव्य में उत्तम ध्वन्यात्मकता हो उसे मधुर यानी मीठा कावू माना जाता है | इस हिसाब से दृष्टिपात करें तो शमशेर की रचनाओं से इसकी और भी बेहतर पुष्टि होती है | उन्होंने शब्दों की जड़ों तक जाकर ध्वनि और अर्थ दोनों की समझ को साक्षी मानकर ही मानो रचना की है | शब्दों की ध्वनियाँ ही मन और मस्तिष्क पर प्रभाव छोड़ पाती है | भाषा के आधार पर ही शमशेर अपने समकालीन कवियों और वर्त्तमान कवियों से पृथक व श्रेष्ठ माने जाते हैं | कविता के प्रभाव के लिए शब्दों के निश्चित क्रम, विराम और ध्वनि संयोजन के साथ प्रस्तुतिकरण भी अपना नियत स्थान रखता है | परंपरागत उर्दू और खड़ी बोली दोनों में परिपक्व होने के कारण शमशेर ने दोनों ही भाषाओं में अदभुत रचनाएं दी है | गौर फरमाएं उनकी एक गझल के दो शेर ........ फिर निगाहों ने तेरी दिल में कहीं चुटकी ली फिर मेरे दर्द ने पैमान वफ़ा का बांधा और तो कुछ न किया इश्क़ में पड़कर दिल ने एक इन्सान से इन्सान वफ़ा का बांधा! उनके लाजवाब सॉनेट के अंश पर एक नजर डालें .......... चुका भी हूँ मैं नहीं कहाँ किया मैंने प्रेम अभी | जब करूंगा प्रेम पिघल उठेंगे युगों के भूधर उफान उठेंगे सात सागर | कवि का कोमल ह्रदय जब प्रेम की प्रस्तुति करता है तो प्रेम की स्पष्टता और भी खुलकर सामने आती है | सावन ऐसी ही रचना है शमशेर की जिसमें प्रेमिका की निष्ठुरता का सजीव चित्रण है | आशिक का प्रेमालाप और प्रेमिका के कठोर होने का ढंग मुखरित होता है | ये अलग बात है कि शमशेर की कविता को आरम्भ से पढ़ना जरुरी है | बीच से पढ़ने पर कविता के अन्दर का प्रवाह स्पष्ट नहीं समझ आता है | उससे बात अधूरी सी लगती है या हम पूरी तरह से कविता के मूल तक जा नहीं पाते | जहाँ में अब तो जितने रोज अपना जीना होना है, तुम्हारी चोटें होनी है हमारा सीना होना है | उनकी भाषा में गज़ब का पैनापन है | कथन की सादगी और भावार्थ का सौन्दर्य ऐसा है कि पाठक बड़ी सहजता से मुस्कुरा उठाता है | उनकी गजलों के पढ़ने का तुक और लय उर्दू की परंपरा शैली के अनुसार है | अपनी ऐतिहासिक रचनाओं के माध्यम से वे तत्कालीन अन्याय, लाचारी, उग्रता, रक्त-रंजिश पर इस प्रकार प्रभाव डालते हैं कि पाठक को ऐसा महसूस होता है कि वह उसकी जीवन यात्रा का एक अटूट हिस्सा है | अपनी लेखनी से मानवता के पतन को दर्शाते हुए अत्याचार के विरुद्ध बहुत कुछ रचा...... यह क्या सूना है मैंने कि, दो रुपये सर है आज | कुछ शहर बम्बई की जबानी खबर है आज | (या ग्वालियर की कविता) समाज के प्रति एक कवि, लेखक, रचनाकार की ज़िम्मेदारी को शमशेर ने बखूबी समझा भी और निभाया भी... शमशेर ने कभी भी बहस या स्पष्टीकरण का भाग बनाने में दिलचस्पी नहीं ली ऐसी परिस्थितियों से खुद को अलग रखना ही वह अच्छा समझते हैं | यूं तो मार्क्सवाद के पक्षधर समझे जाते रहे, परन्तु मार्क्सवाद की छाया उनकी कविताओं में कभी नहीं उभरी | चाँद से थोड़ी सी गप्पें............. हमको बुद्धू ही निरा समझा है ! हम समझते ही नहीं जैसे कि आपको बीमारी है : आप घटते हैं तो घटते ही चले जाते हैं, और बढ़ाते ही चले जाते हैं - दम न लेते हैं जब तक बिलकुल ही गोल न हो जाएं, बिलकुल गोल | यह मरज आपका अच्छा ही नहीं होने में... स्वतंत्रता को परिभाषित करते हुए शमशेर कहते हैं कि समाज की क्रूर परिस्थितियों से स्वतंत्रता और दरिद्र चिंतन से मानसिक स्वतंत्रता आवश्यक है | जब तक व्यक्ति के विचार साफ़ सुथरे नहीं होंगे, वह समाज को गति नहीं दे सकता | एकता को महत्त्व देते हुए शमशेर ने कहा समाज की प्रगति के लिए एकता आवश्यक है | कवि तो संवेदना का शिल्पी है | उसकी संवेदना निजता से होकर समाज, देश-विदेश से विश्व के सन्दर्भों तक पहुँच जाती है |
Email : pankajtrivedi102@gmail.com
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