नज़म - पंकज त्रिवेदी
तेरे पुनीत कदमों ने मुझे झकझोरकर रख दिया
मेरे अँधेरे सीने में तुने दिया जलाकर रख दिया
सुनो, बात अभी तो शुरू ही हुई है मेरे ऐ दोस्त !
माशूकाना आँखों में कोई, चेहरा छिपाकर रखा दिया
धड़कता है दिल आज, किसी अनजान के खुमार पर
धधकता है समंदर यहीं पर, तुमने मज़ार कहा दिया
सोचो मत, सोचना तो मना है ईस दुनिया में
तुम कहो जो कहेना है, लोगों ने भी कह दिया
बदनामी के बवंडर में फँसा हुआ है यह आदमी
बदनाम था तो था, तुमने बदमाश कह दिया
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