मेरा मकसद कभी भारी-भरखम शब्दों का जाल बिछाना नहीं रहा | मैं गुजराती हूँ मगर मेरी माँ का जन्म बनारस में हुआ था तो शायद उसी परंपरा से हिन्दी के प्रति मै दायित्त्व निभाने की कोशिश में हूँ | मारी भाषा सरल है मगर संवेदना मेरे व्यक्तित्त्व का अंश है | शायद यही कारण है की ईतनी भीड़ में मैं बिन-हिन्दी भाषी होने के बावजूद टिक पाया हूँ |

यह आपकी भी सरलता ...