Posted by
Narendra Vyas
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प्रेरक प्रसंग
महत्ता गुण से, धन से नहीं
मात्र धन से कोई महान् नहीं कहलाता। जो विनयादि निर्मल गुणों से सम्पन्न हो, वही महान् कहा जाता है। अर्थ-कष्ट से पीड़ित होते हुए भी अनेक गुणों के आगार होने से वसिष्ठ ऋषि महान् माने गए; पर मण्डूक (मेढक) धनिक होने पर भी गुणों के अभाव में क्षुद्र ही बने रहे।
'महत्त्वं धनतो नैव गुणतो वै महान् भवेत्। सीदन् ज्यायान् वसिष्ठोऽभून्मण्डूका धनिनोऽल्पकाः।।'
इस संबंध में कथा यह है कि वसिष्ठ ऋषि ने पर्जन्य (वर्षा)- की स्तुति की। मण्डूक उसे सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और उन सभी मण्डूकों ने, जो कि गोमायु (गाय की तरह शब्द करने वाले), अजमायु (अजा की तरह शब्द बोलने वाले), पृश्निवर्ण (चितकबरे) और हरित-वर्ण के थे, ऋषि को अपरिमित गायें दी। बाद में ऋषि ने उनकी स्तुति भी की। इस तरह विपुल धन होने और दान देने पर भी मण्डूक गुणविहीन होने से क्षुद्र ही रहे, जबकि गुणी वसिष्ठ प्रतिग्रहीता होने पर भी महान् माने गए।
'गोमायुरदादजमायुरदात् पृश्निरदाद्धारितो नो वसूनि। गवां मण्डूका ददतः शतानि सहस्त्रे प्र तिरन्त आयुः।।' (ऋक. ७।१०३।१०)
अर्थात् वसिष्ठ ऋषि ने त्रिष्टुप् छंद से मण्डूकों की स्तुति करते हुए कहा कि ‘‘गोमायु, अजमायु, पृश्नि और हरित सभी प्रकार के मण्डूकों ने हमें अपरिमित गायें दी। (मैं कामना करता हूँ कि) वे वर्षा-ऋतु में खूब बढे।
'महत्त्वं धनतो नैव गुणतो वै महान् भवेत्। सीदन् ज्यायान् वसिष्ठोऽभून्मण्डूका धनिनोऽल्पकाः।।'
इस संबंध में कथा यह है कि वसिष्ठ ऋषि ने पर्जन्य (वर्षा)- की स्तुति की। मण्डूक उसे सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और उन सभी मण्डूकों ने, जो कि गोमायु (गाय की तरह शब्द करने वाले), अजमायु (अजा की तरह शब्द बोलने वाले), पृश्निवर्ण (चितकबरे) और हरित-वर्ण के थे, ऋषि को अपरिमित गायें दी। बाद में ऋषि ने उनकी स्तुति भी की। इस तरह विपुल धन होने और दान देने पर भी मण्डूक गुणविहीन होने से क्षुद्र ही रहे, जबकि गुणी वसिष्ठ प्रतिग्रहीता होने पर भी महान् माने गए।
'गोमायुरदादजमायुरदात् पृश्निरदाद्धारितो नो वसूनि। गवां मण्डूका ददतः शतानि सहस्त्रे प्र तिरन्त आयुः।।' (ऋक. ७।१०३।१०)
अर्थात् वसिष्ठ ऋषि ने त्रिष्टुप् छंद से मण्डूकों की स्तुति करते हुए कहा कि ‘‘गोमायु, अजमायु, पृश्नि और हरित सभी प्रकार के मण्डूकों ने हमें अपरिमित गायें दी। (मैं कामना करता हूँ कि) वे वर्षा-ऋतु में खूब बढे।
This entry was posted on 7:36 AM
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3 comments:
ati uttam baat...
really....nice
मां
मेरी पल पल "मां" तूं हॅ,
मेरा आत्मबल "मां" तू हॅ,
मेरा पथ-प्रकाश "मां" तू हॅ,
मेरे सर पे आकाश "मां" तू हॅ
मेरा समग्र अस्तित्व "मां"तू हॅ,
मेरा पूर्ण व्यक्तित्व "मां"तू हॅ,
पालवकी सुगंध "मां" तू हे,
मेरी पलकोमें बंध "मां"तू हे,
आत्माकी आवाज "मां" तू हॅ,
मेरे खूदाकी नमाज "मां" तू हॅ,
नस-नस का खून "मां" तू हॅ,
खूश्बु से भरा प्रसून "मां" तू हॅ.
रेखा जोशी.
Posted by Akhi at 11:55 PM
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