पूरा आकाश जैसे घनघोर बादल
मेरे अतीत की तरह
उसके गर्र्भ में से मानो कि
टूट पड़ेगा मूसलाधार......
बिजली के चमकार डराते हैं मुझे
मानो,
शेर की दो चमचमाती अंगारे जैसी आंखें
और उसकी जीभ की लपलपाहट.....!
मुझे नीदं में भी डराता है
उसका चेहरा,
पूरे शरीर में दाहसभर लू जैसी लाह
मुझे डुबोती है
मानो संसार सागर में........
उस वक्त किसी मछली को तैरती देखूं
एक्वेरियम में
और, ठंडक मिलती है मेरे
इस दिल में.......!!