गुजराती लोकगायक स्वर्गीय दुला भाया काग के एक दोहरे का अर्थ कुछ इस प्रकार है - "सूखे घास के पूले के गंज में अगर आग लगे तो उसे बुझाने के बदले जितने पूले को बचा सके उसे बचना चाहिए |" (मतलब कि समाज में विकृति की आग बेकाबू होती जाती है, तब हम अपने को उससे बचा सकें तो अच्छा |)