अभिमान नरक का द्वार है |
अभिमान जब नम्रता का महोरा पहन लेता है, तब ज्यादा ही घृणास्पद होता है । -कम्बरलेंद
बड़े लोगों के अभिमान से छोटे लोगों की श्रद्धा बड़ा कार्य कर जाती है । - दयानंद सरस्वती
जिसे खुद का अभिमान नहीं, रूप का अभिमान नहीं, लाभ का अभिमान नहीं, ज्ञान का अभिमान नहीं,
जो सर्व प्रकार के अभिमान को छोड़ चुका है, वही संत है | - महावीर स्वामी
सभी महान भूलों की नींव में अहंकार ही होता है | - रस्किन