Posted by
Pankaj Trivedi
In:
कविता
तुम्हारे आने से.... !
मैंने ही तुम्हें दो-तीन बार कहा
अब तुम जाओ
और तुम चली भी गई
तुम्हारे जाने के बाद मानों
अँधेरा सा छा गया
एक उदासी भरा ये कमरा
और कमरे में
घोंटते दम-सा बैठा मैं अकेलेपन की
चादर लपेटे
अचानक सिसकने लगा
आँखें बरस रही थी किसी
अकथ्य भय से
दोनों घुटनों पर अपना
सर छुपाकर बैठा, बिलखता
सिसकता मैं...
ऐसे में सर पर हाथ फेरती हुई
आ गई अचानक तुम !
माथे को चूमकर अपने
दोनों हाथो में लिएँ मेरा सर
अपनी भरी हुई छाती से दबाकर
खींच लेती
तुम नहीं मानोगी -
घुटन चली गई और चला गया वह
सिसकियाँ बंद हो गई और
यह वही कमरा है -
जहां दम घूँटने लगा था मेरा
अब यही कमरे में
सुख के फूल बिछाएं हैं
तुम्हारे आने से न जाने
कितना कुछ बदल जाता है...
This entry was posted on 7:25 PM
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कविता
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"यह वही कमरा है -
जहां दम घूँटने लगा था मेरा
अब यही कमरे में
सुख के फूल बिछाएं हैं
तुम्हारे आने से न जाने
कितना कुछ बदल जाता है... "
प्रेम की अनुभूतियाँ बदल देतीं है जीवन को.. बहुत उर्जा ऊष्मा होता है प्रेम में, उसके भाव में.. सुंदर कविता..
जब जब तू मुझे छोड़ चली गयी,
मैंने हमेशा अपने को खोया पाया,
तुम्हारी यादो में,
और तुमने भी आने जाने का सिलसिला चालू रखा,
पर अब नहीं, अब नहीं,और नहीं
मैंने भी तुम्हारे बगेर जीना सीख लिया है,
और बहुत दोस्त भी बना लिए है,
प्यार, मोहब्बत,युम्हारा साथ,तुम्हारी चाहत
अब दोस्ती की सौगात की भीड़ में खो गया है
Om. Bahut khoob. Whi kamra ab sukh se bhar gaya hai. Prem ka bal hai......
एक सुन्दर रचना जिस से प्यार क़ी
अनुभूति का हों , कितना ज़रूरी है I
बहुत बहुत साधुवाद I
भाई साब प्रणाम !
'' उसके होने मात्र से ही माहौल कितना बदल जाता है '' मन के इक किनारे को स्पर्श करती हुई ,बीते पलों को गुनगुनाती हुई बहुत कुछ कहती है ' इक अहसास गुजरता है मुझसे हो कर ''
सादर !
अकथ भय की अद्भुत विवेचना|
bahut khub !
प्रेम तत्त्व की अनुभूति मरुभूमि में भी पुष्प खिला सकती है...
...chetan pandey
bahut sundar bhaav
Kavita Rawat :
घुटन भरे क्षण मुश्किल से कटते है है...बहुत सुन्दर भाव प्रेषण... धन्यवाद
35 minutes ago · Like
"तुम्हारे आने से...!"
- के लिएँ आप सब के अत्यंत भावपूर्ण टिप्पणी और अमूल्य समय देने के लिएँ मैं ह्रदय से आभारी हूँ |
सादर,
अरूणजी, आदरणीय एन.शाह, स्वामी गणेशा नंदजी, एल.आई.सी., सुनिल गज्जानी, नविन सी. चतुर्वेदी, वेबमेहफिल, चेतन, अलका सैनी और कविता राउत...
prem me wo shakti hai jo har chahe anchahe darr se mukt karti hai.aur aapki is rachna prem ke adbhut anubhuti ko pramanit karti hui patit hoti hai.........
अति सुंदर ...एक एक शब्द भाव से पगे हुए ....
इसे पढकर..दुष्यंत कुमार के एक कविता की आधी अधूरी पंक्तियाँ याद आ गई.
कौन यहाँ आया था ...
.................
सूनी घर की देहरी में
ज्योति-सी उछाल गया.
भावपूर्ण अभिव्यक्ति !!!!!!!!!!!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति, धन्यवाद.
मैंने ही तुम्हें दो-तीन बार कहा
अब तुम जाओ
और तुम चली भी गई
तुम्हारे आने से न जाने
कितना कुछ बदल जाता है... nishpran me praan ka sanchaar hota hai
ati sundar rachna , sachmuch pyaar ki chhuwan zindagi ko rang de deti hai , ukhadati sanso ko hawa de deti hai , lagta hai jaise aachanak fijao me rangat aa gayee hai , lagta hai aise hawaao se khooshboo si aa rahi hai .....
संगीताजी, रश्मिजी, संजीवजी, एस. शुक्लजी और राजभाषा ,
आप सब का मैं बहुत आभारी हूँ की आपने मेरी कविता और ब्लॉग की प्रतिष्ठा में अभिवृद्धि की | धन्यवाद |
Kissi ke jane ke baad, ye dil kitna udaas ho jata hai
Ye insaan ne hee nehi, prabhu Ram ne bhi gum uthaya hai
Kartavya bodh se Krishna ne kiya Mathura gaman Peechhe kya chhoot gaya, ye bojh unke dil ne bhi uthaya hai......
श्रीमान अधिराजजी,
आपने इस रचना को पढ़ने के लिएँ इस ब्लॉग पर अपना अमूल्य समय दिया, मै आभारी हूँ |
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