प्यार की ही पूजा करता रहता हूँ मैं,
कुछ सपने हैं, कुछ किताबें और यादें हैं
ये सुबह है, पारिजातक है और मेरा झुला,
तुम नहीं हो यहाँ , फिर भी क्यूं अहसास हैं ?