उमसी-दशा


चैन हुआ तिर रेशा-रेशा

राहत पीपल पत्ती...

मन तक चढ़ आयी दुपहरिया

गेंदा-बेला गुमसे

घिर आये बन बूँदें ये असमंजस कैसे-कैसे

और चढ़ी सिर लगी बसाने

नख हलचल की बस्ती..।

राहत पीपल पत्ती.. ॥

तन-तन उगी करौंदा-झाड़ी

करती अनमन कोठ*

नज़रें तब्भी रहीं निकोतीं

अमिया-अमिया होंठ पिछवाड़े छाहीं* में रह-रह

भीगी गाँठ सुलगती.. ।

राहत पीपल पत्ती..॥