"विश्वगाथा" पर आज हमारे लिएँ ख़ास "अतिथि" जो है वह पेशे से कॉपीरायटर तथा विज्ञापन व ब्रांड सलाहकार | दिल्ली और एन.सी.आर. की कई विज्ञापन एजेंसियों के लिए और कई नामी गिरामी ब्रांडो के साथ काम करने के बाद स्वयं की विज्ञापन एजेंसी तथा डिजाईन स्टूडियो - ज्योतिपर्व का सञ्चालन. अपने देश, समाज व लोगों से सरोकार को बनाये रखने के लिए कविता को माध्यम बनाने वाले जानेमाने कवि अरुण चन्द्र रॉय |

उनकी कविताओं में खासियत यह है कि वर्त्तमान घटनाओं के साथ प्रयोगशील कविताओं पर भी अपनी परिकल्पना के चित्र कलम के द्वार बखूबी बनाने की क्षमता रखते हैं | कुछ ही देर में आपके सामने होगी यह कवितायेँ.... "विश्वगाथा" पर...
1.

ईश्वर और इन्टरनेट

बाज़ार
है सजा
ईश्वर और इन्टरनेट
दोनों का।

ईश्वर
और इन्टरनेट
एक जैसे हैं
ईश्वर विश्वव्यापी है
इन्टरनेट भी

कण कण में
समाये हुए हैं दोनों
हर ज्ञानी अज्ञानी के
रोम रोम में
रचे बसे हैं
दोनों।

जिनते पत्थर
उतने ईश्वर
मंदिरों से
मजारों तक
गिरजा से
गुरूद्वारे तक
गली गली
हर चौबारे पर
मिल जाएगा
ईश्वर के रूप
निराकार
साकार
सनातन
चिरंतन।
इन्टरनेट भी !

आस्तिक
नास्तिक
सगुन
निर्गुण
अद्वैत
द्वैत
इन्टरनेट के रूप हैं
ईश्वर के भी

सुबह से
देर रात तक
ईश्वर
और इन्टरनेट
दोनों के दरबार
भरे रहते हैं,
दोनों
वर्चुअल हैं
आभासी
किया जा सकता है
इन्हें महसूस, लेकिन
नहीं जा सकता छुआ

दोनों के
दुकान सजे हैं
बाजार सजा है
पण्डे और पुरोहित हैं
प्रचारक और
पी आर कंपनिया है
एजेंट्स हैं

ईश्वर को
नहीं देखा मैंने
भूख मिटाते
रोग भागते
हां
जरुर देखा है
अपने प्रांगन में पैदा
करते भिखारी

पोर्न
सेक्स
उन्माद
जेहाद
व्यविचार
सब हैं यहाँ

अंतर
इतना भर है कि
ईश्वर को पाने का
एक और माध्यम
बनता जा रहा है
इन्टरनेट।

विश्व व्यापी जाल
ईश्वर और इन्टरनेट

2.

अंजुरी भर ख़ुशी

वह
अंजुरी भर
पाना चाहती है ख़ुशी

दोनों बाहें पसार
महसूस करना चाहती है हवा
ऊँचा कर अपने हाथ
छू लेना चाहती है आसमान
वह अंजुरी भर
पाना चाहती है ख़ुशी

ओस की बूंदों को
समेटना चाहती है
अपनी नन्ही हथेलियों में
और गीले करना चाहती है
अपने होठ
वह बादलों के
नीले पंखों पर सवार हो
घूमना चाहती है दुनिया

नहीं चाहती है खोना
गुमनामी के भीड़ में
नहीं पसंद है उसे
मशीनी शोर
मुखौटे वाले दोस्त


गुनगुना चाहती है
किसी की कानों में
ए़क मीठी धुन और
फुसफुसाना चाहती है
किसी की धडकनों से साथ
ए़क कहानी की तरह


समा जाना चाहती है
किसी में
अपने छोटे छोटे
खाव्बों के साथ
और जीना चाहती है
एक पल के लिए
सिर्फ अपने लिए

वह अंजुरी भर
पाना चाहती है ख़ुशी
***
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