अतिथि
"विश्वगाथा" पर कल के अतिथि कौन होंगे? यूं तो वह जानेमाने शायर, कहानीकार, लघुकथाकार और आलोचक भी हैं | गझल के क्षेत्र में उनका कार्य ही उनकी ऊंचाई सिद्ध करता है | बहुत ही लोकप्रिय और सुप्रसिद्ध साईट पर प्रधान सम्पादक होना ही उनकी काबिलियत का दस्तावेज है | नेकदिल और शेरदिल इंसान के रूप में उनका कोइ जवाब नहीं | "विश्वगाथा" के पाठकों के लिएँ यह एक उपहार ही होगा | रविवार की सुबह तक का इंतज़ार आपको बाद में पूर्ण आनंदयात्रा कराएगा |
This entry was posted on 3:23 AM
and is filed under
संवाद
.
You can follow any responses to this entry through
the RSS 2.0 feed.
You can leave a response,
or trackback from your own site.
1 comments:
Heading ko edit kariye Bhratashree. Main to aapka hi hoon.
Post a Comment