पोरबंदर गुजरात के समुद्र के किनारे पर बसा शहर | हमारे राष्ट्रपिता गांधीजी की जन्मभूमि | साथ ही कृष्ण के मित्र सुदामा भी यहीं बसते थे, इस कारण इसे "सुदामापुरी" से भी लोग जानते हैं | अंतरराष्ट्रीय प्रवासन में भी पोरबंदर शामिल है |

एतिहासिक दृष्टी से देखें तो यहाँ जेठवा खानदान के राजाओं का साशन था | जिन्हों ने सोलहवीं सदी में अपने राज्य की स्थापना की थी | उस वक्त के राजा को "महाराजा राणासाहब" का ख़िताब और तेरह तोपों की सलामी दी जाती थी | यहाँ पर सुदामा चौक और सुदामा मंदिर प्राचीन है | नेहरू प्लेनेटोरियम है तो गांधीजी के जीवनदर्शन करता कीर्ति मंदिर और उनका भी पर्यटकों को लुभाता है | कथाकारश्री रमेशभाई ओझा का सांदिपनी विद्यानिकेतन, राणासाहब का महल, चोपाटी और तारा मंदिर देखने लायक है | पोरबंदर और आसपास में हडाप्पन संस्कृति के अवशेष 14 से 16 वीं सदी के साथ सम्बन्ध थे यह भी स्पष्ट करता है | उस समय पोरबंद समंदर के कारण महत्त्व का बंदरगाह होगा, ये सबूत भी मिलता है |