"विश्वगाथा" पर प्रत्येक रविवार को मैं "अतिथि" में किसी साहित्यकार की रचनाये प्रकाशित करता था | पाठकों का स्नेह और साहित्यकारों की रचनाओं के कारण अब रविवार के साथ प्रत्येक बृहस्पतिवार को भी "अतिथि" में अन्य साहित्यकार की रचना पढ़ सकते हैं |
परिचय :
नरेन्द्र व्यास- "आखर कलश" के सम्पादक | बहुत अच्छे इंसान और साहित्य के लिए समर्पित युवक | कविताऍं अच्छी लिखते हैं मगर बहुत ही कम | पिछले सप्ताह रति सक्सेनाजी की जानीमानी और लोकप्रिय साईट "कृत्या" पर कविताऍं प्रकाशित हुई थी | उसी से ही उनके स्तर को समझ सकते हैं, मगर वहां से भी आगे वह जा रहे हैं | "कृत्या" पर पाठकों ने बहुत ही सराहना की थी | उनके शब्द ही पहचान है, चलो उसी के द्वारा ही उन्हें परखें | - पंकज त्रिवेदी
नरेन्द्र व्यास की दो कवितायें
१.
तुम हो तो
मौसम का
मखमली अहसास
गुदगुदाता है
जाने क्या बात हुई
मौसम का मिजाज़
कुछ बदल रहा है
ठहर सी गई है
लालिमा
एक कप चाय की
प्याली में
जबकि सूरज
कब का ढल चुका है
***


२.
अँधेरे गलियारों में
चलना बहुत मुश्किल है
फिर भी
घुमावदार रास्तों पर
चलना तो है
मदारी के खेल सा
डुगडुगी बजते ही
अपना तमाशा दिखाने
बटोरनी है कुछ तालियाँ
तालियों की गूँज में
हंसी की सिमटती चादर से
झांकता व्योम
कुछ खनकते
पहिये जिंदगी के
कुछ टूटे सपने
कुछ मिट्टी
कुछ संभावनाएँ
समेटकर
आखिरी तमाशे तक
मुझे...
यूहीं चलना है
अनंत...अनवरत..... !