जिंदगी रूकती नहीं चट्टान में

मंजुला सक्सेना

निर्झरी बन फूटती पाताल से
कोपलें बन नग्न रुखी डाल से
खोज लेती हैं सुधा पाषाण में
जिंदगी रूकती नहीं चट्टान में

रेत के दरिया में डूबी सरस्वती
हिम-शिखर पे भ्रमण करता वो ति
देव बन कण झूमते आसमान में
बस सिर्फ इंसां जिए गुमान में

शक्ति-प्रदर्शन करे नि:शक्त पर
मुदित है वनों के बहते रक्त पर
प्रकृति विकराल है शमशान में
तम सभी हो होम केवल ज्ञान में

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ज़िंदगी है तुजसे मेरी - ममता मजुमदार

बेताबियों की शामों-शहर से

न थी मैं वाकिफ दर्द जिगर से-1

गुज़री नहीं मैं तो कभी भी

प्यार की दिलकश राहें गुजर से-2

दिवानगी की ये इन्तेहा है

हर चहरे में चेहरा तेरा ही -3

तेरा चहेरा इक रुबाई सा है

सारी दुनिया तेरी परछाईं सी है-4

दिल-जिश्म-जाँ पर तूं छाया सा है

तेरी कशिश का जादू अजब है -5

हर वक्त मुजको तेरी तलब है

यूंही नहीं बेशुद्ध हुआ दिल इस -6

प्यास का तो कोई शबाब है

तेरे सिवा न कोइ अब अरमां -7

अब ज़िंदगी है तुजसे मेरी,

बीन तेरे हर जगह तन्हाई सी है.-8

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मुटठी भर रोशनी ... रेणु सिंह

थाली भर अँधेरे को पाटने के

लिये


काफी है मुट्ठी भर

रोशनी या जरुरत पङेगी एक
चाइनीज झालर की।

मन की टूटन को भरने के लि ये
काफी है अपनोँ की मुस्कानेँ या
जरुरत पङेगी एक लाफिँग थेरे
पी की।मूक
प्राणी की भाषा तब समझेँगे

जब दर्द की भाषा समझेँगे अ
पनोँ की।
दुनियाभर की चकाचौँध से मु
ट्ठी भर
खुशियाँ अपनोँ की भी।
इतने पटाखोँ की रोशनी
मेँ रोटियोँ की मेहरबानी अनजाने
गरीबोँ के लिये भी।

कनक सी सच्ची कोशिश
काफी है
कुछ सार्थक परिवर्तन के लिये
या
जरुरत पङेगी एक अदद सिफा
रिश की।
अँतर की बर्फ पिघलने को का
फी है
एक सुँदर सी मुस्कान इस
दिवाली या जरुरत
पङेगी एक महँगे से उपहार की