शहर में दंगा होते ही अप्रत्याशित रुप से पुलिस -प्रशासन हरकत में आ गया, दोनों पक्षों के दंगाईयों और उनके मुस्टण्डों को पकड़ कर बंद कर दिया गया, शाम होते होते स्थिति नियंत्रण में कर ली गयी, जान माल की कोई विशेष हानि न होने दी गयी.

फ़िरे भी जाने क्यों रात होते होते, शहर के दोनों लडाकू समुदायों में अफ़वाहों का बाज़ार था, दोनों ही समुदायों में भारी रोष व्याप्त था.