संदेह

स्काटलैंड यार्ड के

कुत्तों जैसे शब्द

कवि की तलाश में निकले हैं

और सदियों से

गुनाहगार पकड़ नहीं पाएं हैं

जो पकड़ा जाता है वह

कवि होने के संदेह में

कवि नहीं....!!!


खून का स्याही में रूपांतर माने कविता

कहते हैं अब वहां सूरज नहीं उगता

यातनाएं उगती हैं........

कहते हैं अब वहाँ रात नहीं ढलती

शीतल वेदनाएं जलती हैं.........

टैंकों के हल से होती खेती की बात सुनकर

यहाँ बैठे कंपकंपा उठाते हैं

मैं...हम... आप... वे.... सभी ही

चलो इतना तो तय करें

खून का रंग लाल हैं |