(मूल गुजराती से .......)

इस पुराणी आराम कुर्सी पर बैठकर

दादी माँ

थके हुए सूरज को डूबते देखती थी

आज मेरी माँ वहां बैठती है,

शरद के बादल गिनती

कल मैं भी

वहां बैठी होऊंगी

झुनझुनी चढ़े पैर थपथपाती

पृथ्वी नारंगी सी गोल हो या चोरस