एक बार मुनिओं ने ब्रह्मज्ञानी सनतकुमारजी से पूछा कि दीपावली पर लक्ष्मी और अन्य देव-देवताओं की पूजा क्यूं की जाती है? तब उन्हों ने दानव राजा बलि की कथा सुनाई | जब बलि राजा में अहंकार आने लगा तो उन्हों ने देवों को ही बंदी बनाना शुरू किया | उन्हों ने लक्ष्मीजी और अन्य देवों को जेलों में बंद कर दिएँ | धन-संपत्ति के अभाव में पृथ्वी पर हाहाकार मच गया | तब कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन भगवान विष्णु ने वामन रूप धारण किया और बलिराजा के पास दान लेने पहुँच गएं | राजा हँसने लगा | वामनने सिर्फ तीन कदम की ज़मीन माँगी तो राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ | राजाने कहा कि तीन कदमों में जितनी ज़मीन पा सको वह तुम्हारी | तभी वामन से विराट स्वरूप धारण करके तीनों लोक मांग लिएँ | अब बलिराजा को तो पाताल में ही जगा मिली | लक्ष्मीजी और दूसरे सभी देवगण जेल से छूटकर क्षीरसागर पहुंचे और विश्राम किया | इस प्रसंग को याद करते हुएं भी दीपावली पर्व मनाया जाता है | लक्ष्मी का वास वहीं होता है जहां लोगों में प्यार और समभाव हो | कर्मशील, धैर्यवान और सात्विक लोगों के पास ही लक्ष्मीजी रहती है |