"विश्वगाथा" पर आपको एक साथ बहुत ही जानी पहचानी दो कलम से रूह-ब-रूह करवाएंगे. एक - जो स्त्री के अस्तित्त्व को अलग अंदाज़ में आपके सामने रखकर कहेगी -"व्यर्थ नहीं मैं" |
दूसरे - जो हमारे धर्मग्रंथों के आधार पर "कलियुग" के विविध पहलू पर अभिव्यक्त होंगे...|
"विश्वगाथा" पर प्रत्येक रविवार और बृहस्पतिवार को हम "अतिथि" में विविध रचनाकारों को आपके लिएँ ख़ास बुलाते हैं | उम्मींद है, इस बार भी अओअको पसंद आयेगी...