नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं
माँ आद्यशक्ति का प्रादुर्भाव
सर्वोपकारकराणाय सदार्दचिता - सर्व जगत पर उपकार करने वाली हे देवी ! तुम तो हमेशा करुणामयी हो | शक्तिपूजा वैदिककाल से भारतीय परम्परा को उजागर करती रही है | ब्रह्म के दो स्वरूप निर्देश किये गएं हैं - शिव और शक्ति | "शक" धातु को "क्तिन" प्रत्यय लगाने से शक्ति शब्द बनता है | जिसका अर्थ बल, सामर्थ्य, ऊर्जा, शक्ति, दैवी, दिव्यता आदि होते हैं |
माँ आद्यशक्ति देवी भगवती का प्रादुर्भाव भी भव्यातिभव्य है | जिसका आकार बनाते ही भगवान शंकर के तेज में से देवी का मुख प्रकट हुआ | यमराज के तेज से मस्तक के केश, विष्णु के तेज से भुजाएं, चन्द्र के तेज से वक्ष:स्थल, ईंद्र के तेज से कटिप्रदेश, वरुण के तेज से जांघप्रदेश और पृथ्वी के तेज से नितम्ब प्रकट हुए | ब्रह्मा के तेज से दोनों चरण, सूर्यवसुओं के तेज से ऊँगलियाँ, कुबेर के तेज से नासिका, प्रजापति के तेज से दांत, अग्नि के तेज से नेत्र, संध्या के तेज से भ्रमर और वायु के तेज से कान का उद्भव हुआ | इस तरह सभी देवताओं के तेजोमय प्रकाशपुंज से कल्याणमयी देवी स्वरूप का प्रागट्य होने से सभी देवताओं, ऋषिओं और महर्षिओं ने माँ भगवती का जयजयकार किया |
नवदुर्गा की नवरात्री के इस पावन और पवित्र दिनों में हम माँ की स्तुति करें और जनकल्याण के हित में माँ से आशीर्वाद मांगे | सब का कल्याण हो | जय माता जी |
This entry was posted on 8:24 AM
and is filed under
धर्म
.
You can follow any responses to this entry through
the RSS 2.0 feed.
You can leave a response,
or trackback from your own site.
4 comments:
शुभकामनाएं! बहुत अच्छी प्रस्तुति।
मध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
जयकारा शेरावाली का..बोल साँचे दरबार की जय....
अश्विन मास की नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ.."जय माता दी "
सर्वज्ञे सर्ववरदे, सर्व दुष्ट भयंकरी...
सर्व दुःख हरे देवी
महालक्ष्मी नमोस्तुते
रिद्धि-सिद्धि प्रदे देवी
मुक्ति-मुक्ति प्रदायिनी...
मन्त्र-मुग्ध सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तुते
महाकाली नमोस्तुते...महासरस्वती नमोस्तुते.....
दुर्गा शैलपुत्री प्रथमं
जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी |
दुर्गाक्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते ||
Post a Comment