नीरज दइया. जन्म: 22 सितम्बर 1968 आप प्रख्यात साहित्यकार श्री सांवर दइया के सुपुत्र हैं। कई पुस्तकें प्रकाशित । कुछ प्रमुख कृतियाँ, 'साख' तथा 'देसूंटो' (कविता-संग्रह). निर्मल वर्मा तथा अमृता प्रीतम की किताबों के राजस्थानी में अनुवाद प्रकाशित । हिन्दी-राजस्थानी-गुजराती में परस्पर अनुवाद तथा राजस्थानी में कविता और आलोचना के लिए चर्चित । संपर्क : पी.जी.टी. (हिंदी), केंद्रीय विद्यालय, , क्रमांक-1. वायुसेना, सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर) राज. ; मो. 09461375668

खोखली हंसी

प्रेम के बिना

नहीं खिलते फूल

कुछ भी नहीं खिलता

बिना प्रेम के ।

मुरझा जाते हैं रंग

उड़ जाती है खुशबू

और खो जाती है हंसी

बिना प्रेम के ।

जो है खिला हुआ

उस के पीछे प्रेम है

जहां नहीं है प्रेम

वहां सुनता हूं-

खोखली हंसी ।

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विरह की आग

विरह की आग

नहीं बुझती-

किसी जल से ।

भीतर के जल से

जलती है

जलाती है जिसे

उसका रोना नहीं होता

चीखना-चिल्लाना भी नहीं संभव

ऐसे राख हुआ जाता हूं मैं

मत छूना मुझे !

टूट जाएगा भ्रम तुम्हारा

मैं भीतर ही भीतर

ढेर हो चुका हूं !

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फासला

कितना हो सकता है फासला

मिलन और विरह में

सुख और दुख में

आकाश से गिरती

किसी बूंद और सीपी में

किसी प्यास और पानी के बीच

फासला कितना हो सकता है ?

चलो यही बता दो

मंजिल और किसी राही में

क्या होती है कोई पहचान

पहले से ही किसी रूप में

बस इतना जान लो

हर फासला होता है तय

हौसलों और इरादों से

अगर है हौसला

कौन बदल सकता है

हमारा इरादा

बीच का फासला

कोई दूसरा नहीं

करेंगे हम ही तय ।

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आधार

पेड़ के पास रहते हुए

या फिर

किसी पेड़ को देखते हुए

क्या आपने कभी

अपनी जड़ों के बारे में सोचा ?

मिट्टी का प्रेम

पालता है देह को

आधार है चेतना का

हमारी जड़ें !

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अभी इस वक्त

अभी इस वक्त में

बहुत कुछ हो जाएगा-

मसलन इस संसार की

बढ़ जाएगी आबादी

और जन्म से पहले ही

हत्यारे खोजेंगे कन्या-भ्रूण

यह कोई नई बात नहीं !

क्या है नई बात ?

क्या है ऐसी कोई बात

जिसे हम नहीं जानते ?

हम जानते हैं

सारी की सारी बातें ।

कविता में इस वक्त

आप से क्या कहूं नई बात ?

क्या चाहते हैं आप ?

क्या हर किसी की चाहत

संभव है पूरी हो जाए

किसी एक कवि में !

आप प्रतीक्षा में है

बहुत सारी कविताएं

कोई नई किताब

किसी पत्रिका का विशेषांक

नहीं खरीदा आपने !

माफ करें !

कभी खरीद कर

कभी मांग कर

केवल अखबार पढ़ते है आप !

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नीरज दइया पी.जी.टी. (हिंदी), केंद्रीय विद्यालय, क्र. १, वायु सेना, सूरतगढ़, जिला- श्रीगंगानगर (राज.)