ऐ दोस्त इतना भी प्यार न कर

लोग चले जाएँ ठोकरें मारते यहाँ

समझ ले तू भी अब इस ज़माने में

सच्चा प्यार करने वाले मिलेंगे कहाँ

ये दुनिया है शानों-शौकत के लिए

प्यार करने वाले तो फ़कीर हैं यहाँ

कोई नफ़रत का कारवाँ लेके आया हैं

मैं हूँ कि खुद को खींचे जाता हूँ यहाँ

क्या हक्क है तुम्हें प्यार करने का

दोस्त ! किसे वक्त है बेफ़िजूल यहाँ ?