पूछा मैंने क्यूं देर से मिलाया हमें

पता नहीं क्यूं खुदा भी शरमाता है?


ये दिल से निकली है बात मेरे दोस्त !

कौन कहेता है कि तुम दूर हो हम से?


ये रिश्ता है दर्द का खुद ही को देख

वरना कौन हैं यहाँ जो गुमशुदा नहीं?


ये सलाखें नहीं कच्चा धागा है मेरे यार

हम वो कहाँ जो किसी के बंधने से रहें?