तुम्हारे गीतों ने मेरे अहसासों को
कुछ इस तरह छुआ है
जैसे बरसती बूंदों ने
कोमल पंखुरियों को छुआ है
जब भी गुनगुनाती है फिजाएं
लगता है रंगभरी बदलियों ने
इन्द्रधनुष छुआ है
खिलती कलियों ने
मुस्कराहट को इस तरह छुआ है
जैसे दिल में छुपे जज्बात को
किसी मीठी याद ने छुआ है
जब भी हवाएं आई हैं
तुम्हारी महक लेकर
लगता है जैसे किसी हसीं सपने ने
पलकों को छुआ है