Posted by
Pankaj Trivedi
In:
अतिथि-कविता
कविता - रंजना फतेपुरकर
तुम्हारे गीतों ने मेरे अहसासों को
कुछ इस तरह छुआ है
जैसे बरसती बूंदों ने
कोमल पंखुरियों को छुआ है
जब भी गुनगुनाती है फिजाएं
लगता है रंगभरी बदलियों ने
इन्द्रधनुष छुआ है
खिलती कलियों ने
मुस्कराहट को इस तरह छुआ है
जैसे दिल में छुपे जज्बात को
किसी मीठी याद ने छुआ है
जब भी हवाएं आई हैं
तुम्हारी महक लेकर
लगता है जैसे किसी हसीं सपने ने
पलकों को छुआ है
This entry was posted on 8:18 PM
and is filed under
अतिथि-कविता
.
You can follow any responses to this entry through
the RSS 2.0 feed.
You can leave a response,
or trackback from your own site.
Posted on
-
1 Comments
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comments:
जब भी हवाएं आई हैं
तुम्हारी महक लेकर
लगता है जैसे किसी हसीं सपने ने
पलकों को छुआ है
खूबसूरत एहसास से भरी कविता....
सादर बधाई और आभार...
Post a Comment