आदिकाल से नारी आकर्षण के साथ ही चर्चा का विषय भी रही है। इसके दो कारण हैं: एक तो उसके रूप की बनावट, दूसरे उसका ममतामयी व्यक्तित्व। भारतीय समाज में नारी के स्थान की बात हो और गार्गी, दुर्गा, शक्ति से ले कर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाली युवतियों से हो कर, सरोजिनी नायडू इंदिरा गाँधी, मायावती जैसी नेताओं के नाम आएं ऐसा हो नहीं सकता। हम इनके नाम लेकर गर्व व्यक्त करते हैं। भारत ने इस दिशा में तरक्की की है। हर क्षेत्र में नारियाँ पुरुषों से कद से कदम मिला कर बढ़ रही हैं। जहाँ एक ओर नारी विकास और प्रगति की बात होती है, वहीं दूसरी ओर दहेज के लिए पीड़ित होने वाली या जला दी जाने वाली औरतों की बात भी होती है। अल्ट्रासाउंड जैसी आधुनिक तकनीकों की मदद से होने वाली भ्रूण हत्याओं की चर्चा होती है। भारत के गाँव कितना बदल रहे हैं और गांवों में रहने वाली औरतों की स्थिति क्या है, इस पर बात होती है। नारी इस धरती पर प्यार, öाव, ममता, दया और समर्पण की प्रतिमूर्ति है। नारी के अनेक रुप इस धरा पर लोगों को जीने की राह दिखाते हैं। वह माँ, बहन,बेटी, भाभी, पत्नी और दोस्त बनकर अपना स्नेह बा

प्राचीन काल में नारी केवल घर-परिवार की देखभाल करने तक ही सीमित थी। हजारों में एक हुआ करती थीं वह, जिन्होंने घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर अपने मोहल्ले शहर और फिर देश की कमान सम्हाली। भारत में ही नहीं सारे विश्व में दिवस मनाने की प्रथा है। अनेक प्रकार के दिवस मनाएं जाते हैं। इन दिवसों के माध्यम से किसी मृत व्यक्ति को श्रद्धांजली दी जाती है और याद किया जाता है। भारत में वर्ष के 365 दिनों में से लगभग आधे से अधिक दिन जयंति और पुण्यतिथि मनाने में निकल जाते हैं। इसी श्रंखला को आगे बढ़ाते हुए नारियों को उनकी बहुमुखी प्रतिभा के लिए सम्मान देने के उद्देश्य से महिला दिवस मनाने का विचार किया गया। दस लाख से अधिक महिलाएँ चुनाव में जीत कर पंचायती राज का हिस्सा बनी हैं। दूसरी ओर, इस प्रयोग कोदिखावाभी कहा गया है और आरोप लगाया गया है कि असली ताकत तो पतियों, पिताओं ससुरों के हाथों में है जिनके हाथों में यह चुनी हुई महिलाएँ केवल कठपुतलियाँ भर होती हैं।

समय बदल रहा है, विभिन्न राज्यों में पंचायत सदस्यों में महिलाओं की संख्या आरक्षित सीटों को पार कर चुकी है, पंचायतांे में 37 से 54 प्रतिशत सदस्य महिलाएँ हैं। 2008 में लिखी एक अन्य जाँच में पाया गया कि इनमें से अधिकतर महिलाएँ निर्णय लेने के लिए अपने पति या अन्य पुरुषों पर निर्भर नहीं हैं, अपने निर्णय स्वयं लेती हैं। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। 19 वीं शताब्दी के पहले दशक में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की गई। 1936 में इसमें एक नया मोड आया जब सिडनी में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस समिति की सदस्याओं का एक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में सभी प्रमुख महिलाओं ने अपनी-अपनी जानकारियों समस्याओं और अनुभवों को आपस में बांटा।इस सम्मेलन के बाद महिलाओं के रहन-सहन, अधिकारों, माँगों और वर्चस्व में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ।स्वतंत्रता का वास्तविक अर्थ-स्वतंत्रता उच्चश्रृंखलता का पर्याय नहीं। समाज में रहकर किसी को मनमाने आचरण की स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष यदि ऐसा करने दिया गया, तो सामाजिक संगठन छिन्न-भिन्न हो जायेगा और किसी के लिए कोई स्वतंत्रता होगी। व्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा समाज में रहकर ही उत्पन्न होता है। स्त्री और पुरुष दोनों की स्वतंत्रता के अलग-अलग मापदण्ड नहीं हो सकते। स्त्रियों की स्वतंत्रता का आशय यह है कि उन्हें भी व्यक्तित्व के विकास के वे सभी अवसर प्राप्त होने चाहिए जो पुरुषों को प्राप्त होते हैं। स्त्रियों की स्वतंत्रता का आशय पुरुषों के साथ उनकी प्रतिद्वंदिता नहीं है,स्त्री और पुरुष दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता होती है। व्यक्तित्व के विकास के लिए दोनों एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। नारी की स्वतंत्रता की यह एक सीमा है क्योंकि वह पुरुष के बिना नहीं रह सकती। जो स्त्रियां पुरुष की सत्ता को नगण्य मानकर अकेले रहने का दम्भ रखती हैं वे कुंठाग्रस्त होती हैं। स्त्री और पुरुष दोनों को साथ रहने के लिए कुछ बन्धन स्वीकार करने पडते हैं। इस प्रकार स्त्री की स्वतंत्रता सीमित हो जाती है। यदि नारी पुरुष के बिना रह सकती,तो शायद यह बात होती। प्रकृति ने ही नारी और पुरुष दोनों के लिए यह सीमा निर्धारित कर दी है।

1939 में सिडनी में हुए सम्मेलन में अन्य 20 संस्थाओं ने भी भाग लिया। यह तब तक का सबसे बड़ा महिला सम्मेलन था। इसमें सबसे पहली महिला वकील एलीन पावेल, मेरिडा कोहेन आदि ने उपस्थ्ति समूह को संबोधित किया। अब भारत भी पीछे नहीं है। हमारे देश की महिलाएं जागरुक होकर अपने सवाल, अपनी समस्याएं और अपने हक के लिए आवाज उठा रही हैं। वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश की महिलाएं विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफल होंगी। स्त्री और पुरुष दोनों कुछ सीमा तक दूसरे के शासन में रहना चाहते हैं।भारतीय मूल्य और नारी स्वातर्न्त्य-प्राचीन काल में भारतीय नारी काफी स्वतंत्र होती थी। वह पुरुषों के समान विद्या अध्ययन करती थी और स्वेच्छा से अपने पति का चयन कर सकती थी। सामाजिक क्षेत्र में भी उसका योगदान बहुमूल्य माना जाता था। प्राचीन काल में बहुत-सी विदुषी नारियों का उल्लेख मिलता है परन्तु भारतीय संस्कृति में मर्यादा को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसलिए उसमें स्त्री या पुरुष के उच्छृंखल आचरण को मान्यता नहीं दी गई। कालान्तर में मर्यादा बनाये रखने के लिए नारियों पर बहुत से बन्धन लगा दिये गये। नारियों के पतिव्रत धर्म को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। पुरुष के लिए भी सदाचरण अनिवार्य माना गया। परन्तु उस पर विशेष अंकुश नहीं रखा गया। नारी का कार्य क्षेत्र घर में सीमित कर दिया गया। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में उसका कोई योगदान नहीं रह गया फिर भी भारतीय समाज में नारी का विशेष आदर किया जाता रहा। नारी-पुरुष के हृदय पर शासन करती रही।कुछ नारियां पश्चिम के अनुकरण पर नारी स्वातंर्त्य का आन्दोलन चला रही हैं। कुछ बैठे ठाले सुखों का भोग करने को स्वतंत्रता समझती हैं। दूसरी ओर नारियों का विशाल वर्ग अपनी स्वतंत्रता की चेतना नहीं रखता। भारत में संवैधानिक एवं कानूनी दृष्टि से नारियों की स्वतंत्रता में कोई बाधा नहीं है। उन्हें पुरुषों के समान सभी प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं। परन्तु व्यवहार में वे अब भी पुरुषों पर निर्भर हैं। नारी स्वातंर्त्य में बाधक तत्व-भारतीय नारी की स्वतंत्रता के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है-वर्तमान सामाजिक स्थिति।

आइए इस महिला दिवस पर धन्यवाद करें उन महान् हस्तियों का जिन्होंने एक महिला होकर हमारे देश की रक्षा और विकास में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

*रजिया सुलतान - धर्मग्रंथ तथा इतिहास इस बात के गवाह हैं कि महिलाओं ने परिवार, समाज और देश की रक्षा में सदा बढ-चढ कर भाग लिया। ज्यादा गहराई में जाकर इतिहास उठाकर देखें तो पायेंगे कि किस प्रकार रजिया सुल्तान ने मुगल साम्राज्य सम्हाला।

*भीखाजी कामा --24 सितंबर, 1861 को बंबई में जन्मी भीखाजी कामा स्वाधीनता संग्राम से जुड़ी अत्यंत कर्मठ महिला थी। धनी परिवार में जन्म लेने के बावजूद इस साहसी महिला ने आदर् और दृढ़ संकल्प के बल पर निरापद तथा सुखी जीवनवाले वातावरण को तिलांजलि दे दी और शक्ति के चरमोत्कर्ष पर पहुँचे साम्राज्य के विरुद्ध क्रांतिकारी कार्यों से उपजे खतरों तथा कठिनाइयों का सामना किया। श्रीमती कामा का बहुत बड़ा योगदान साम्राज्यवाद के विरुद्ध विश्व जनमत जाग्रत करना तथा विदेशी शासन से मुक्ति के लिए भारत की इच्छा को दावे के साथ प्रस्तुत करना था।

*अनन्दी गोपाल जोशी --भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी ने अमेरिका से डिग्री हासिल की। उनके पति श्री गोपाल राव जोशी एक प्रगतिशील विचारक तथा नारी शिक्षा के बडे समर्थक थे। उन्होंने अनन्दी गोपाल की रुचि को देखा और संस्कृत के स्थान पर अंग्रेजी पढने पर जोर दिया। शिक्षा पूरी होने पर श्री जोशी ने आनंदी गोपाल को अमेरिका में रहने की सलाह दी, परंतु उन्होंने स्वीकार नहीं किया और भारत आकर सेवाभाव से समर्पित हो गई।

*सरोजिनी नायडू-- सरोजिनी नायडू जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ एक कवयित्री थीं और बंगला में लिखती थीं ये बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि थीं इन्होंने 12 वर्ष की अल्पायु में ही 12वीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण कर ली थीं। कविताएँ लिखना इन्हें प्रकृति से प्राप्त था और 13 वर्ष की आयु में ही इन्होंने लेडी आफ दी लेक नामक कविता रच डाली सरोजिनी नायडू 1895 में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। 1898 में सरोजिनी नायडू, डॉ. गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। सरोजिनी नायडू से माँ भारती की वेदना देखी नहीं गई और माँ भारती को स्वतंत्र्ा कराने हेतु वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद गईं। 1914 में इंग्लैंड में ही इनकी पहली भेंट गाँधीजी से हुई और गाँधीजी के विचारों से प्रभावित होकर ये उनकी परम शिष्या बन गईं।

*किरन बेदी--भारतीय पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी किरण बेदी 1972 में पुलिस सेवा में आई। उन्होंने लगभग 36 वर्ष देश की सेवा की। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र्ाों में नारी की अहम भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया।तिहाड जेल में कैदियों के लिए किए गए सुधार के प्रयासों से वे चर्चा में रहीं। जब भी कभी महिला सशक्तिकरण की बात होगी, किरण बेदी का नाम जरुर लिया जायेगा।

*पद्म भूषण तीजनबाई-- छत्तीसगढ की लोक विधा पंडवानी को देश विदेश में पहचान दिलाने वाली पद्म भूषण तीजनबाई इस विरासत को और व्यापक बनाने में जुटी हुई हैं। इसके लिए वह कई प्रदेशों के शिष्य तैयार कर रही हैं। उन्हें प्रशिक्षण के वक्त वह पंडवानी की मौलिकता पर भी विशेष ध्यान दे रही हैं। तीजनबाई से जब पूछा गया कि उन्होंने पंडवानी को पहचान दिलाई, लेकिन अब इस विरासत को संभालने वाला कौन है? तीजनबाई ने बताया कि वह लगभग 150 बालक-बालिकाओं को पंडवानी में प्रशिक्षित कर रही हैं। इनमें तीन बालिकाएं ऐसी हैं जो विभिन्न प्रदेशों में इसका प्रदर्शन कर चुकी हैं। प्रशिक्षण देते वक्त मौलिकता पर खास ध्यान देती हैं। वह पंडवानी को मूलरुप में गाना सिखाती हैं लेकिन टीका उसकी मातृभाषा में करने के लिए कहती हैं। जब वह द्रौपदी की वेदना में डूबती हैं तभी मंच पर दुःशासन नहीं, कृष्ण के दर्शन होते हैं। ùभूषण तीजनबाई औरत की मर्यादा को देश और समाज की मर्यादा मानती हैं।

*इंद्रा नूयी--पेप्सिको की भारतीय अमेरिकी चेयरमैन एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंद्रा नूयी को लगातार दूसरी बार फर्च्यून पत्रिका ने कारोबार जगत की सर्वाधिक 50 प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया है। नूयी को इस सूची में टॉप 10 महिलाओं की सूची में रखा गया है।

*चंदा कोचर --दुनिया की चोटी की महिला उद्यमियों की सूची में आईसीआईसीआई बैंक की चंदा कोचर को 33वें स्थान पर रखा गया है। अपने बैंक की अंतर्राष्ट्रीय पहुंच को और विस्तार दिया है।

*आशा भोंसले-- भारत की मशहूर पार्श्वगायिका आशा भोंसले बर्मन पिछले तीस वर्षों से फिल्म जगत में धूम मचायें हैं।वह अब तक 8 फिल्म फेयर पुरस्कार प्राप्त कर चुकी हैं। उनकी मधुर आवाज और गाने का अंदाज़ फिल्मी दुनिया की अनूठी शान है। चाहे पुराने गीत हों या नये, आधुनिक पॉप हर तरह के गीतों में आशा जी ने अपनी विशेष छवि बनाई।

सानिया मिर्जा-- भारत की टेनिस सनसनी सानिया मिर्जा किसी डब्ल्युटीए टूर्नामेंट में शीर्ष वरीयता पाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। भारतीय महिला टेनिस खिलाडी सानिया मिर्जा इन दिनों अपने जीवन के स्वर्णिम सफर पर हैं।उन्होंने डब्लयूटीए की जारी विश्व रैंकिग में 29वाँ स्थान हासिल किया है

शहनाज हुसैन-- सौंदर्य की दुनिया की मशहूर व्यवसायी शहनाज हुसैन ने प्राकृतिक उत्पादो से सुन्दरता को बनाए रखने में एक नया अध्याय जोडा। प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधनों का जिक्र *शहनाज हुसैन के नाम के बिना अधूरा है लेकिन इसके अलावा भी बहुत सी चीजें हैं जिनसे शहनाज जुड़ी रही हैं। कम ही लोग जानते हैं कि रचनात्मक तरीके से कपड़े डिजाइन करने के साथ-साथ शहनाज को लकड़ी की कलाकृतियां बनाने का भी शौक है।भारत में आयुर्वेदिक सौंदर्य प्रसाधनों की अग्रणी कंपनी शहनाज हर्बल्स ने विदेशों में अपने विस्तार कार्यक्रम के तहत कोरियाई कंपनी शहनाज हर्बल्स(कोरिया) के साथ 11 वर्षीय करार किया है। उन्हें सौंदर्य की दुनिया का संस्थापक माना जाता है। उन्होंने 1977 सबसे पहले ब्यूटीशियन पाठ्यक्रम की शुरुआत की।

*बरखा दत्त-- बरखा दत्त ने कारगिल के समय भारत -पाक युद्ध क्षेत्र्ा में पहुँचकर सभी देशवासियों को अचंभित कर दिया। बरखा ने चुनौतीपूर्ण पत्रकारिता को नया आयाम दिया।

*सरोज खान-- भारतीय फिल्म-जगत की नृत्य-प्रशिक्षिका तथा कोरियोग्राफर सरोज खान को रवीन्द्रालय प्रेक्षागृह में लच्छू महाराज अवार्ड से पुरस्कृत किया गया। सरोज खान को स्मृति चिन्ह और 51 हजार रुपए की सम्मान राशि प्रदान की।

एकता कपूर -- अपनी मेहनत से टेलीविजन की दुनिया में शोहरत हासिल करने वाली एकता कपूर सीरियल बनाने में प्रसिह् हैं। वह पहले पत्रकार बनना चाहती थी।

*सुलेखा जाधव -- भारत की पहली महिला ट्रेन चालक सुलेखा जाधव ने, ट्रेन चाल के क्षेत्र में पुरूषों के एक छत्र राज्य को समाप्त किया। आज वह बाम्बे-पूना रेल पथ पर सफलतापूर्वक रेल चला रही हैं।

*ज्योति नाइक--लिज्जत पापड़ समूह की अधयक्ष ज्योति नाईक कहती हैं कि संस्था को बांधने वाली प्रमुख ताकत है आत्मगौरव और आत्मसम्मान का भाव। यह कोई गरीब और असहाय महिलाओं की संस्था नहीं है। लिज्जत पापड़ भी एक व्यवसाय है, केवल इसकी संरचना अलग है। इसमें किसी प्रकार की सहानुभूति, दया या दान की भावना नहीं है। मात्र 80 रूपए के कर्ज की राशि से की गई शुरुआत वर्तमान समय में 301 करोड़ रूपए प्रतिवर्ष की बिक्री तक पहुंच गई है।

*प्रतिभा पाटिल-- प्रतिभा देवीसिंह पाटिल स्वतंत्र भारत के ६० साल के इतिहास में पहली महिला राष्ट्रपति हैं। राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल ने अपने प्रतिद्वंदी भैरोंसिंह शेखावत को तीन लाख से ज्यादा मतों से हराया। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने जलगांव जिले में महिला होम गार्ड का आयोजन किया और १९६२ में उनकी कमांडेंट थीं, वे राष्ट्रीय सहकारी शहरी बैंक और ऋण संस्थाओं की उपाध्यक्ष रहीं तथा बीस सूत्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति, महाराष्ट्र की अध्यक्षा थीं। श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने अमरावती में दृष्टिहीनों के लिए एक औद्योगिक प्रशिक्षण विद्यालय, निर्धन और जरूरतमंद महिलाओं के लिए सिलाई कक्षाओं, पिछड़े वर्गों और अन्य पिछड़े वर्गों के बच्चों के लिए नर्सरी स्कूल खोल कर उल्लेखनीय योगदान दिया तथा किसान विज्ञान केन्द्र, अमरावती में किसानों को फसल उगाने की नई एवं वैज्ञानिक तकनीकें सिखाने, संगीत और कम्प्यूटर की कक्षाएं आयोजित की।

मीरा कुमार-- भारतीय संसद में लोकसभा की नई स्पीकर मीरा कुमार पहली महिला स्पीकर बन कर दलित नेता मीरा कुमार ने बुधवार को एक नई इबारत लिखी। उन्हें सर्वसम्मति से लोकसभा का स्पीकर निर्वाचित किया गया। वह इस पद पर निर्वाचित होनेवालीं पहली दलित महिला भी हैं। कांग्रेस का दलित चेहरा मानी जाने वाली 64 वर्षीय मीरा विदेश सेवा की अधिकारी और केंद्रीय मंत्री रह चुकी हैं।

*रितु नंदा-- जीवन बीमा के माध्यम से अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज कराने वाली रितु नंदा हैं जिन्होंने एक ही दिन में 17000 पेंशन पालिसी बनाने का विष्व रिकार्ड बनाया है। भारतीय जीवन बीमा निगम ने सबसे सफल कार्यकर्ता घोषित किया है।

झुम्पा लाहिड़ी-- लेखनी की सादगी के लिए मशहूर झुम्पा को टीएमएसएस की सूची में आठवें स्थान पर रखा गया है। लोकप्रिय वेबसाइट डेली बीस्ट द्वारा तैयार की गई इस फेहरिस्त में टेनिस खिलाड़ी एना इवानोविच शीर्ष स्थान पर हैं। लाहिड़ी ने अपने पहले कथा संग्रह इंटरप्रिटर ऑफ मैलेडीज के लिए वर्ष 2000 में पुलित्जर अवार्ड जीता था। उनके पहले उपन्यास नेमसेक पर एक लोकप्रिय फिल्म का निर्माण भी किया गया था।

*कोनेरू हम्पी --भारतीय ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी ने अंतिम दौर में फ्रांस की मैरी सेबाग को मात देकर पहले आई एस बैंक अतातुर्क महिला ग्राप्री शतरंज टूर्नामेंट का खिताब अपने नाम कर लिया। हम्पी दसवें राउंड के बाद 7.5 अंकों के साथ चीन की झाओ जुए और यिफान हाओ के साथ संयुक्त रूप से शीर्ष पर थी। भारतीय ग्रैंडमास्टर 8.5 अंकों के साथ एकल शीर्ष रहीं और खिताब अपने नाम कर लिया। अंतिम राउंड में काले मोहरे से खेलते हुए हम्पी ने जबर्दस्त फॉर्म में चल रहीं फ्रांसीसी खिलाडी के खिलाफ बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया।

*सीवी तिलकवती -- सीवी तिलकवती दक्षिण रेलवे की पहली महिला चालक बन गई हैं। पिछले महीने से उपनगरीय इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) ट्रेन का संचालन कर रहीं हैं और हजारों यात्रियों को रोजाना उनके गंतव्यस्थल तक पहुंचा रहीं हैं। प्रथम महिला चालक के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि दक्षिण रेलवे का यह बहुत ही व्यस्त रूट है।