उजले पैरों से
खुद को समेट कर
धुप
सांझ के
आगोश में
सुनहरी हो गई ,!!

सितारों की
जमीं पर
रात ने
रचे छंद
मधुबन के ..!!

चाँद की
देह में
जल उठे
कई सूरज !!

समंदर को
सुखा देने
वाली प्यास
खड़ी हे
चोखट पर
जलाये नजरो के दीये..!!

गया था जो
इस राह से ,
लोट कर कब ,
आएगा वो बटोही ??