घोटाला ही घोटाला ...
क्या सफ़ेद और क्या काला
हर गर्दन पर झूल रही है, रिश्वत खोरी की माला

घोटाला ही घोटाला .......घोटाला ही घोटाला

नक्शे पास हुवे हैं ज़मीनें घुस गई ऊंचे मकानों में

बाज़ारों के तंग रास्ते , कैसे खिसके दुकानों में

आँखें मूंद ली प्रशासन ने , रूई ठूंस ली कानो में

फुटपाथों को लांघ के सामने आने लगा गन्दा नाला

घोटाला ही घोटाला ......

शायद कुछ दम बचा नहीं है गाँधी वाद के मंतर में

जनता पिस कर चीख रही है रोज़ दलाली टक्कर में

जिस को देखो घिरा हुवा है बन्दर बाँट के चक्कर में

कभी नहीं दफ्तर में अफसर , दफ्तर में है कभी ताला
घोटाला ही घोटाला ........

ठेकेदारों;न , चपरासी , बाबु , अफसर का राज हुवा

जल की हाय ताव्बा मची है. पयसा पूरा समाज हुवा

नक्शे में तालाब ,कुवें ,ओंर नहेरों का इन्द्राज हुवा

किसे है चिंता चौड़ा दरया , कैसे बन गया है नाला

घोटाला ही घोटाला..........

खूब खनीज की लूट मची है ,कोएयले की है दलाली
छुट भैये दरबारी राग में गाने लगे हैं कव्वाली

काले धन की परसेंटेज से गालो पर आई है लाली

किस में दम है साफ़ करे जो कालि मकड़ी का जाला

घोटाला ही घोटाला ........

पता नहीं है कौन सराती , कौन यहाँ पे बाराती है

सचाई खुद असमंजस में ,खोपड़ी अपनी खुजाती है
जांच कमेटी घोटाले के बाद बिठा दी जाती है
अफसर जी जा के टेंडर पर ,हिस्से दार हुवा साला

घोटाला ही घोटाला ...............
पटरी पर गुज्जर आन्दोलन , रेल का चक्का जाम हुवा

टेक्स की चोरी और दो जीबी का रेक्केट सारे आम हुवा

स्विज़ेर लैंड का जमा खज़ाना आने में नाकाम हुवा

चीखे अपोजिसन में मोगेम्बो ,चुप सत्ता में मधुबाला ....

घोटाला ही घोटाला ......

भूके टीचर , खुशहाली का सबक पढाओगे कैसे

और किसान जी , सूखे खेत में धान उगाओगे कैसे

अस्पताल में दावा नहीं है , जीवन पाओगे कैसे

डोनेशन , और पैरवी से मजबूर हुवा पढने वाला

घोटाला ही घोटाला ..........

सब कुछ चुप चुप सहते सहते समय बहोत बर्बाद हुवा

हर दिन बढती महंगाई का मंतर सब को याद हुवा

घोटाले पर गीत लिखा तो नजमी का दिल शाद हुवा

सिस्टम सारा बह जाएगा , फूटने वाली है जवाला

घोटाला ही घोटाला .........
घोटाला ही घोटाला
क्या सफ़ेद और क्या कला
हर गर्दन पर झूल रही है रिश्वत खोरी की माला

घोटाला ही घोटाला ......................