लाचारगी झलकती है आँखों में
माथे पर शिकन कुछ ज्यादा हैं

जिंदगी थोड़ी छोटी है ,
और
काँधे पर बोझ कुछ ज्यादा है
नकली सी मुस्कान चेहरे पर आती है

जब खुशी पल भर के लिए दरस दिखाती है

उम्र का क्या ,
यूँही बढती चली जाती है

ताउम्र तलाशता है
पल भर का विश्राम
ये आम आदमी ,
जानते हुए भी कि

मिलेगा वो दुष्ट सिर्फ मृत्यु –शय्या पर.............