कल काटे छाँटे वृक्ष की
नग्न शाख पर उतर आया चाँद

सहलाता हुआ सा
पत्रहीन अकेलेपन को

सींचता चाँदनी से......

तुम जीवन हो

फिर हरे भरे होंगे
कल, कल-कल स्वर
भर देंगे जीवन,
जीवन के आँगन में।

कुछ पत्र पुष्प छंट जाने से
जीवन का सार नहीं चुकता
जीवन मन का वह साहस है
जो कभी कहीं नहीं रुकता