लोगों की भीड़ को

चीरती हुई तुम्हारी दो आँखे

जब देखती है मुझे तो

लोगों की भीड़ की सभी आँखें

एक ही शख्स पर तरकश से निकले

ज़हरीले तीर की तरह

चुभने लगती है मुझे और

लहूलुहान कर देती हैं मेरी संवेदना को....

और मेरा कलेवर

सहता है चुपचाप हमेशा की तरह !

ऐसा क्यूं होता है कि -

लोगों की नज़रें

तीर की नोंक बन जाती है फिर भी

मैं तुम्हे देखता रहता हूँ,

जैसे कुछ हुआ ही नहीं...!!