tag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post6499375163518527327..comments2023-09-08T08:50:07.814-07:00Comments on सृजनकथा: जैसे कुछ हुआ ही नहीं...!! - पंकज त्रिवेदीNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-81449390366116867952011-03-04T09:39:57.134-08:002011-03-04T09:39:57.134-08:00बहुत सुन्दर कविता का चुनाव किया है... कहते हैं की ...बहुत सुन्दर कविता का चुनाव किया है... कहते हैं की प्रेम अंधा होता है... वह नहीं देखता कि कितनी नजरे उसे बेंध रही हैं...कविता उसी भावना को दर्शाती है ... सादरडॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-18412126112364897982011-03-01T23:40:11.156-08:002011-03-01T23:40:11.156-08:00आदरणीय ओमजी,
हम जानते हैं की आपका स्नेह और आशीर्व...आदरणीय ओमजी, <br />हम जानते हैं की आपका स्नेह और आशीर्वाद हमारे साथ ही हैं | हम कितने भाग्यशाली हैं कि आपके मार्गदर्शन में ही हम थोडा सा संपादन कार्य कर रहे हैं | कईं बार समय की कमी के कारण टिप्पणी देना मुश्किल होता है | हम तो हमेशा आपकी छत्रछाया में रहते हैं तो अन्यथा क्यूँ लेंगे? चलो इस बहाने आपने कुछ शब्द लिखाकर दिए यही खुशी की बात | धन्यवाद् |Pankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/13825761046315674437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-85623707134360881022011-03-01T23:35:30.746-08:002011-03-01T23:35:30.746-08:00अरुणजी, आपको अंजनाजी की कविता पसंद आई उसके लिए हम ...अरुणजी, आपको अंजनाजी की कविता पसंद आई उसके लिए हम आभारी हैं | "आखर कलश" परिवार की तरफ से आपका धन्यवाद् |Pankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/13825761046315674437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-676430310038154512011-03-01T01:22:34.921-08:002011-03-01T01:22:34.921-08:00वाह जी पंकज जी,
खूब लिखा-
मैं तुम्हे देखता रहता हू...वाह जी पंकज जी,<br />खूब लिखा-<br />मैं तुम्हे देखता रहता हूँ,<br /><br />जैसे कुछ हुआ ही नहीं........<br />बधाई हो !<br />विश्वगाथा का मैं नियमित पाठक हूँ ।<br />टिप्पणी न भी करूं तो अन्यथा न लें ।<br />स्नेह बनाए रखें !ओम पुरोहित'कागद'https://www.blogger.com/profile/13038563076040511110noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-24013341099140571152011-02-28T21:25:42.455-08:002011-02-28T21:25:42.455-08:00ऐसा क्यूं होता है कि -
लोगों की नज़रें
तीर की नो...ऐसा क्यूं होता है कि -<br /><br />लोगों की नज़रें<br /><br />तीर की नोंक बन जाती है फिर भी<br /><br />मैं तुम्हे देखता रहता हूँ,<br /><br />जैसे कुछ हुआ ही नहीं........<br /><br />shayad yahi prem ki parakashtha hai. shubhkamna .मेरे भावhttps://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-88335534564694198072011-02-28T21:16:00.792-08:002011-02-28T21:16:00.792-08:00अंजना बक्सी की कविता में जीवन एक रेखाचित्र की तरह ...अंजना बक्सी की कविता में जीवन एक रेखाचित्र की तरह उभरता है... नियमित पाठक हूँ उनका .. आज विश्वगाथा पर उनकी कविता भी उत्क्रिस्थ है...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com