सदियाँ बीत गयी क्रान्ति होते हुए...

हर जमीं पर क्रांति का आगाज होता है..
नयी राजसत्ता आती है !
बदलाव आता है चेहरों में !
मगर बदलता कुछ नहीं !
आम आदमी कल भी सड़क पर था !
आज भी और कल भी रहेगा...!
सूत्रपात होगा फिर एक क्रान्ति का... !
एक नए चेहरे के लिए !
नयी व्यवस्था के लिए !
मगर बदलेगा कुछ नहीं !
आदमी वहीँ खड़ा देखता रहेगा -
बदलते चेहरे ! बदलती व्यवस्था !
खुनी राजप्रासादों में नए षड्यंत्र !
कुछ और ऊँची दीवारें...
कुछ और बौने आदमी और उनकी तुच्छ लिप्साएं...!
देखते सहते फिर होगा एक और क्रांति का सूत्रपात...
एक और क्रांति का सूत्रपात...