आज का दिन.... उदास बीता...
21, फरवरी 1993 को बाबूजी नहीं रहे थे... गुजराती साहित्य में वो भी कविताएँ लिखते थे | गांधी विचार धारा पर अंतिम साँस ली थी | जीवन पर्यंत खादी पहनने का वचन निभाया और अंतिम यात्रा में भी खादी का ही कफ़न ! अपने ही बाबूजी के लिए मैं क्या कहूं ?