डॉ नूतन गैरोला
हमने अँधेरा देखा है
एक अहसास बुराई का
ये दोष अँधेरे का नहीं
ये दोष हमारा है..........
हमने क्यों मन के कोने में
इक आग सुलगाई अँधेरे की
खुद का नाम नहीं लिया हमने
बदनाम किया अँधेरे को........
एक पक्ष अँधेरे का है गुणी
कुछ गुणगान उसका तुम करो
अँधेरा है तो दीया भी है
अँधेरे का निर्विकार प्रेम
दीये संग देखो
दीये के अस्तित्व को लाता है
फिर मिटा देता है खुद को ही
दीये से रोसन जहाँ के लिए| ......
पूजा जाता है दीया
और बलिदानी अँधेरा
बदनामी की कालिख लिए,
खो जाता है
गुमनामी के अंधेरो में |
तुम अँधेरा सा रोशनी के लिए
त्याग करके तो देखो
एक चिंगारी सुलगा के तो देखो
तुम दीप जला-के तो देखो
अँधेरा मिटा के तो देखो |
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This entry was posted on 8:22 PM and is filed under दीपावली . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed. You can leave a response, or trackback from your own site.
15 comments:
एक अलग तरह की कविता नूतन .. आपके नाम के अनुरूप .
दीप को इस बिब्म में देखना सुखद लगा .
डॉ.नूतन गैरोला जी बेहद सुखद रचना , हार्दिक शुभकामनाएं एवं पंकज आपको भी आपके सार्थक एवं रचनात्मक साहित्य से लोगों में नया उजाला फैलाने का यह प्रयास हमेशां बरकरार रहे इसके लिए हम भी हमेशां आपके साथ हैं , दीपावली के इस शुभ वासर पर आप सभी बहन व् भाइयों और स्नेहिल मीर बंधुओं को हार्दिक मंगलकामनाएं
आपका
हितैषी
एस.पी.सिंह
मुख्य संपादक
टुडेज२४नयूज सर्विस
धन्यवाद विश्वगाथा !! मेरी कविता के लिए आपने मंच दिया |
धन्यवाद अपर्णा जी !
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत अच्छा सन्देश देती रचना
दीपावली की शुभकामनाएं
भाईसाहब श्री एस पी जी को मेरा धन्यवाद और शुभकामनाएं
वाह वाह! गज़ब का संदेश देती सार्थक अभिव्यक्ति।
sundar sandesh! sarthak abhivyakti!!!
सार्थक रचना। बहुत अच्छी प्रस्तुति। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई! राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!
बहुत ही सार्थक रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
तुम दीप जला-के तो देखो
अँधेरा मिटा के तो देखो |
...बहुत ही सार्थक संदेश देती रचना
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं
संगीता जी ..
वंदना जी
अनुपमा जी
राजभाषा हिंदी
ताऊ जी
कविता जी ..
आप सभी का नमन और दिवाली पर शुभकामनाएं
सुन्दर!!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
Man ko chhune vali rachna
BADHAI
अँधेरे की मनस्थिति को समझने का एक नूतन प्रयास...बहुत सुन्दर..दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं
नूतन जी ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति और बहुत सुन्दर सन्देश .. आप हमें इसी तरह से यदाकदा अपनी रचनाओ पहुंचातीं रहे.. सादर धन्यवाद .. आभार विश्वगाथा ब्लॉग का |
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