अपने शब्दोंसे मैंने
सौन्दर्य की छवि बनाई है

क्या तुमने इसे देखा है?

मेरे शब्दोने संगीत के सूरों की लड़ी सजाई हैं
क्या तुमने इन्हें सुना है?
मेरे शब्दोंसे मै तुम्हारे दिलको छूता हूँ
क्या तुमने महसूस किया?

मै एक कवि हूँ
मेरे शब्द गुलाब की सुगन्धित सुन्दरता सजाते हैं
क्या तुमने इन्हें सूंघा है?

मेरे शब्द ग़म के आंसू
बहाते है
क्या तुमने इसने चखा है ?

मै एक कवि हूँ
मै गम की कहानियां कहता हूँ
मै शब्दों से सुन्दरता के गीत सजाता हूँ,
मै सच्ची खुशीको
शब्दो में ढालता हूँ
मेरे शब्द अन्याय के आक्रोश को
आवाज़ देते है
मै एक कवि हूँ
तुम मेरी भावनाओं पे हंसकर

मेरे दिल को कैसे झुटला सकते हो ?

इतनी कठोरता से

तुम मेरे दिल की उमंगो की
हँसी कैसे उड़ाओगे ?
मैंने तो मेरे हृदय को तुम्हारे सामने खोला

संवेदन को तुम्हारे तक पहुँचाया
तुम कैसे इसे टीकाओं से चोट पहुँचाओगे
तुम कर लो अपना हिस्सा मै करू अपना
क्यूंकि मै कवि हूँ ....

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(त्रिनिदाद-पोर्ट ऑफ़ स्पेन -टोबागो)