(१)
ज़िंदगी तस्वीर भी है
और तक़दीर भी

मन चाहे रंगों से
बन जाये तो तस्वीर
अनचाहे रंगों से
बने तो तक़दीर.....
(२)
जब तू चली जाती है
ज़िंदगी ग़ज़ल हो जाती है
और जब तू आ जाती है
तो ग़ज़ल ज़िंदगी हो जाती है....