tag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post6640910581305047378..comments2023-09-08T08:50:07.814-07:00Comments on सृजनकथा: निबंध : विचार तो वेदवाणीNarendra Vyashttp://www.blogger.com/profile/12832188315154250367noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-90754571104226694462010-09-10T07:56:47.999-07:002010-09-10T07:56:47.999-07:00महेंद्रजी,
नमस्कार |आप मेरे ब्लॉग पर आये उसके लिएँ...महेंद्रजी,<br />नमस्कार |आप मेरे ब्लॉग पर आये उसके लिएँ स्वागत और धन्यवाद |<br />आपने जो लाइन को बताया है... मेरे अनुभव के कारण स्वाभाविक रूप से ही बाहर आया हुआ तथ्य है | <br />मैं आभारी हूँ |Pankaj Trivedihttps://www.blogger.com/profile/17669667206713826191noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7082843076785979224.post-58670890196835093212010-09-10T02:08:17.641-07:002010-09-10T02:08:17.641-07:00फ़ायदा हो जाए तो कहते हैं की "भगवान का आदमी&qu...फ़ायदा हो जाए तो कहते हैं की "भगवान का आदमी" है और नुकसान हो तो कहते हैं की उसकी "हाय" लगी । ऐसी बातों में श्रद्धा और अंधश्रद्धा का टकराव होता है, सत्य-असत्य का और मान-अभिमान का भी टकराव होता है...<br /><br />बहुत ही विचारणीय प्रस्तुति....आभारसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com