होता है ,जिंदगी लगती है कभी बेमानी सी

पैरों में जंजीर और धडकनों पर पहरा


हर छोटा सा गम भी लगने लगता है अथाह गहरा


किताब--जिंदगी कुछ उलझी हुई सी लगती है


हर्फ़ बेसाख्ता धुंधले से नज़र आते हैं


हाथों की लकीरों में बस कालिमा सी छा जाती है

खुशियाँ जो थी कभी चिलमन तले छिप जाती हैं


होता है अक्सर ,पर दोस्त मेरे


अंत नहीं ये जिंदगानी के सफर का

मौका नहीं मय्यत की चाह भी करने का

रुको! देखो पलट के


चुने थे फूल भी कभी राहों में

थी घास भी मखमली कभी इन कांटे दार गलियारों में

हर ख्वाब की ताबीर हो ,ये ज़रूरी नहीं

उम्र भर गम से सरोबार दिन –रात हों ये ज़रूरी नहीं


उम्मीद की किरणों को आने दो जहन के रोशनदानों से


फिर खिलेंगे फूल ,महकेगी जिंदगी खुशनुमा अरमानो से


Poonam Matia
MaryKay Beauty Consultant
Pocket - A , 90-B
Dilshad Garden
Delhi-110095